अपने लक्ष्य का निर्धारण करने से किसी भी व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से कैसे बदल जाता है? (apane lakshy ka nirdhaaran karana) Various info Studytoper

Ashok Nayak
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लक्ष्यहीनता का अभाव दिशाहीनता को जन्म देता है और यही हमारे युवा वर्ग का दुर्भाग्य है । लक्ष्यबद्धता शक्तियों का संचय करती है और लक्ष्यहीनता उनका विघटन । लक्ष्यबद्ध व्यक्ति ही समाज और राष्ट्र के गौरव बनते हैं । आप पानी की बूंद की तरह अकेले ही लक्ष्य के प्रति अग्रसर हो जाएं , राष्ट्र आपको सदैव याद करेगा ।

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महानुभावों की गणना नगण्य 

दिव्य विरासत और गौरवपूर्ण परम्पराओं वाले इस देश के वासियों में आज न जाने कैसा - परिवर्तन हो गया है कि भारतीयता के नाम पर हमारे नौनिहालों को गर्व की अनुभूति नहीं होती है । उन्नीसवीं शताब्दी तक महानुभावों का प्रादुर्भाव करने वाले इस देश में आज महानुभावों की गणना नगण्य हो गई है ।

मूल्यों का अप्रत्याशित ह्रास

 भारत ने भौतिक क्षेत्र में तो असाधारण प्रगति की है , परन्तु पिछले कुछ वर्षों से मानव मूल्यों का अप्रत्याशित ह्रास हुआ है , उसके सन्दर्भ में अनेक व्यक्तियों के मन में राष्ट्र के भविष्य के प्रति अनेक शंकाएं एवं आशंकाएं उठने लगी हैं । फलतः समस्त भौतिक प्रगति व्यर्थ प्रतीत होती है । 

राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी उसकी युवा शक्ति 

राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी उसकी युवा शक्ति है । अनेक देशों ने अपने प्रयत्नों द्वारा देश का निर्माण किया है । जर्मनी , जापान और कोरिया इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं । हमारे देश के युवकों को भी अपने इस उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक होना चाहिए और राष्ट्र के भविष्य के निर्माण के प्रति गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए युवकों को अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना होगा , परन्तु वस्तुस्थिति निराशाजनक है । हमारा युवा वर्ग अनेक कारणोंवश चिन्तित और निराश दिखाई देता है । वह न तो शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति गम्भीर है और न चरित्र - निर्माण के महत्व को ही अच्छी तरह समझता है ।

युवा वर्ग में दिशाहीनता

 ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे युवा वर्ग को किसी भी प्रकार की गतिविधि में रुचि नहीं है और वे दिशाहीन हो गए हैं । खेल के मैदानों से लेकर विद्यालयों की कक्षाओं तक सब स्थानों पर सन्नाटा दिखाई देता है । अधिकांश युवा वर्ग उत्साहहीन और बुझा हुआ दिखाई देता है । ऐसा प्रतीत होता है कि उनको किसी प्रकार की गतिविधि में रुचि नहीं रही है ।

युवा वर्ग की उत्साहहीनता

 युवा वर्ग की उत्साहहीनता का कारण लक्ष्यविहीनता ही है , उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि जीवन में सफलता और महानता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य का निर्धारण परम आवश्यक है ।

युवा वर्ग अवांछनीय तत्वों का शिकार

लक्ष्यहीनता की स्थिति में बेचैनी और उत्साहहीनता स्वाभाविक है । इनको दूर करने के लिए हमारा युवा वर्ग अवांछनीय तत्वों का शिकार बन जाता है और असामाजिक गतिविधियों में भाग लेने लगता है । हमारा युवा वर्ग बदनाम होता जा रहा है और साथ ही अपने जीवन के साथ खिलवाड़ करता हुआ देखा जाता है ।

लोक सेवा आयोग की रिपोर्ट 

 लोक सेवा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्याशी प्रायः अपेक्षित तैयारी के बिना ही प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित हो जाता है और ऐसा लगता है कि इन स्नातक और स्नातकोत्तर आदि कक्षाओं की पढ़ाई व्यर्थ रही । सबका मूल कारण वही है - लक्ष्य निर्धारण का अभाव । उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि जिन प्रशासकीय सेवाओं में वे जाना चाहते हैं , अधिकारी के अपेक्षित गुणों का अपने अन्दर विकास करें । सच यह है कि " पहले योग्य बनो फिर कामना करो । " योग्यता से सफलता न मिले , यह असम्भव है । 

चरित्र का निर्माण

हमारा युवा वर्ग यदि यह समझ ले कि कुशल मेहनती और ईमानदार व्यक्ति के लिए काम का अभाव नहीं है , तो हमारे समाज की स्थिति सर्वथा भिन्न हो जाए । हमारे युवक - युवतियों को स्वामी विवेकानन्द का यह कथन याद रखना चाहिए कि , “ A square piece of stone cannot remain lying on the street " अर्थात् पत्थर का चौकोर टुकड़ा कभी सड़क पर नहीं पड़ा रह सकता । जो व्यक्ति अपने चरित्र का निर्माण उपयोगिता की दृष्टि से करता है , उसको कभी निराश नहीं होना पड़ता , बल्कि वह समाज राष्ट्र का गौरव बन जाता है । महान् विभूतियों के जीवन हमें यही शिक्षा देते हैं कि हमें निर्धारित लक्ष्य की ओर निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए । 

शिक्षा प्रणाली 

कुछ लोग शिक्षा प्रणाली को दोषपूर्ण बताते हैं । ध्यातव्य यह है कि यद्यपि वर्तमान शिक्षा - प्रणाली सर्वथा निर्दोष नहीं है तथापि अनेकानेक महापुरुष इसी शिक्षा प्रणाली की देन हैं । सर्वविदित है कि अमरीका , इंगलैण्ड , जर्मनी आदि विकसित देशों में अनेक भारतीयों की प्रतिभा का लोहा माना जाता है । ये प्रतिभाएं एवं विभूतियाँ भी इसी शिक्षा प्रणाली की देन हैं । जिस व्यक्ति ने इस प्रणाली के अवरोधों और दोषों के समक्ष हार नहीं मानी है और अपने निर्धारित लक्ष्य के अनुसार कार्य किया , उसने इन विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की है ।

उपसंहार

अतः स्पष्ट है कि हमारी समस्त असफलताओं और निराशाओं के मूल में हमारी लक्ष्यहीनता की प्रवृत्ति लिप्त है । लक्ष्य निर्धारित होते ही व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन केन्द्रीभूत हो जाता है । उसकी सारी शक्तियाँ केवल उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सक्रिय हो जाती हैं और अन्य अनुपयोगी धाराओं के लिए उसकी शक्ति व समय का अपव्यय नहीं हो पाता । लक्ष्यबद्ध व्यक्ति की स्थिति अर्जुन की तरह हो जाती है , जिसे सम्पूर्ण परिवेश में चिड़िया की आँख की पुतली ही दिखाई देती है । लक्ष्यविहीन व्यक्ति के जीवन की गति बिखरी हुई किरणों की तरह हो जाती है , जो एक बिन्दु पर केन्द्रित न होकर इधर - उधर अटक जाती है । लक्ष्यविहीन व्यक्ति की स्थिति पानी में बहते हुए काठ के उस लढे की तरह हो जाती है , जो धारा के साथ इधर - उधर बहता है और यदा - कदा किनारे की ओर आ जाता है । उलझकर अटका रह जाता है । लक्ष्यहीनता की स्थिति में व्यक्ति का जीवन अनिश्चित , आशंकाओं से युक्त सारहीन और निरर्थक हो जाता है । ऐसे व्यक्ति अपनी किस्मत को धिक्कारने वाले सफल व्यक्तियों के प्रति द्वेष और ईर्ष्या की भावना रखने वाले बन जाते हैं । ऐसे लोग आत्मघृणा और ईर्ष्या की भावना से सम्पूर्ण समाज के वातावरण को विषाक्त कर देते हैं । लक्ष्यहीन व्यक्ति सदैव अपने भाग्य भरोसे रहते हैं । ऐसे व्यक्तियों के भाग्य कभी जगते नहीं हैं और वे अपनी असफलताओं के लिए पूरे समाज को दोषी ठहराते हैं ।

 लक्ष्य निर्धारण द्वारा व्यक्ति को आत्म सन्तोष , आत्मविश्वास प्राप्त होते हैं और इस शान्ति से उसे एक महान् शक्ति मिलती है । इसी शक्ति से पुरुषार्थ , शौर्य और निर्भीकता का प्रादुर्भाव होता है । जो व्यक्ति इन शक्तियों से युक्त होता है वह केवल अपने जीवन का ही निर्माण नहीं करता वरन् सम्पूर्ण राष्ट्र का गौरव बनता है । 

प्रायः व्यक्ति यह सोचते हैं कि राष्ट्र का निर्माण अकेले हम क्या कर सकते हैं । ऐसे व्यक्तियों को वर्षा की बूंद से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए । बूंद पृथ्वी पर आते समय यह नहीं सोचती कि मैं पृथ्वी को उर्वरक कैसे बना सकूँगी , परन्तु एक - एक करके गिरने वाली अनेक बूंदें पृथ्वी को शस्य - श्यामल बना देती हैं । बूंद की भाँति यदि आप लक्ष्य की प्राप्ति में अपना सर्वस्व होम देंगे , तो विश्वास कीजिए कि राष्ट्र आपके प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा ।

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